Wednesday, April 29, 2009

ओ कान्हा...






ओ कान्हा! अब तोह मुरली की, मधुर सुना दो तान-...
मैं हु तेरी प्रेम दीवानी, मुझको तू पहचान.....मधुर सुना दो तान...
ओ कान्हा.......

जबसे तुम संग मैंने अपने नैना जोड़ लिए है,
क्या मैया क्या बाबुल, सबसे रिश्ते तोड़ लिए है.....
तेरे मिलन को व्याकुल है ये, कबसे मेरे प्राण....मधुर सुना दो तान.....


सागर से भी गहरी मेरे प्रेम की गहराई, लोक, लाज , कुल की मर्यादा त्यज कर मैं तोह आई.....
मेरी प्रीती से निर्मोही, अब ना बनो अनजान....

मधुर सुना दो तान-